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Priyanka Singh’s Film Acid Inspires Change In Society And Thinking...

समाज और सोच में बदलाव लाने को प्रेरित करती है प्रियंका सिंह की फिल्म “एसिड”

फिल्म समीक्षा

फिल्म: एसिड: एस्टाउंडिंग क्रेज इन डिस्ट्रेस

निर्देशक: प्रियंका सिंह

रेटिंग्स: 4 स्टार्स

देश की लड़कियों के चेहरे पर तेजाब फेंकने जैसी सामाजिक बुराई पर बेस्ड फिल्म एसीआईडी: एस्टाउंडिंग क्रेज इन डिस्ट्रेस इसी सप्ताह रिलीज़ हुई है। रियल-लाइफ एसिड अटैक पर बेस्ड इस फिल्म को नवोदित डायरेक्टर-प्रोड्यूसर प्रियंका सिंह ने बनाया है। इस मूवी में एसिड अटैक की शिकार लड़की ‘रुहाना’ का लीड रोल भी उन्होंने ही निभाया है। फिल्म 3 जनवरी को देशभर में स्क्रीनशॉट मीडिया और एंटरटेनमेंट ग्रुप द्वारा रिलीज हो गई है।

जाहिर है कि दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म छपाक से इसकी तुलना की जा रही है मगर इसका ट्रीटमेंट अलग है और इसे बेहद रियलिस्टिक ढ़ंग से बनाया गया है। मेघना गुलज़ार की छपाक जहां एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की स्टोरी है वहीं प्रियंका सिंह की एसिड भी यूपी के एक रियल-लाइफ इंसिडेंट पर आधारित है, जहां एक यंग लड़की पर तेजाब से हमला किया गया था। इस मूवी को देखने के बाद यह एहसास होता है कि इसे बनाने का उद्देश्य केवल एक सिनेमा बनाना नहीं है बल्कि इस सामाजिक बीमारी को लेकर देश और समाज में एक बहस शुरू करना है।

प्रियंका सिंह ने अपने निर्देशन का हुनर दिखाते हुए इस फिल्म के सीन्स को नाटकीय नहीं किया है बल्कि इसे रियलिस्टिक ढ़ंग से शूट किया है। इस फिल्म के जरिए इस तरह का खौफनाक क्राइम करने वालों के दिमाग में झांकने का भी प्रयास किया है।

एसिड के को-प्रोड्यूसर मान सिंह ने इस फिल्म में निगेटिव रोल भी किया है। यह मूवी पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं का संघर्ष दिखाती है। यह फिल्म किसी एक लड़की के बारे में नहीं है,बल्कि यह तमाम औरतों का दर्द दर्शाती है।

रांची की रहने वाली प्रियंका सिंह ने इसमें एसिड पीड़िता का रोल किया है।प्रियंका ने फिल्म में अभिनय के साथ ही निर्देशन भी किया है। इस फिल्म में एसिड अटैक पीड़िता की कहानी देखते हुए लोगों की रूह तक कांप जाती है। ऐसी कहानी को पर्दे पर पेश करना प्रियंका के लिए बड़ा चैलेंज था लेकिन लखनऊ की एसिड पीड़िता रुहाना की जिंदगी पर आधारित इस रोल को प्रियंका ने बड़ी शिद्दत से निभाया है। प्रियंका ने इस रोल को निभाने के लिए काफी तैयारी की है। उन्होंने कई एसिड पीड़िताओं के साथ समय गुजारा है, उनकी कहानी और दर्द को महसूस किया है।

फिल्म में विलेन बिलाल को दिखाया गया है जो एसिड फेंकता है। किस तरह की संकीर्ण मानसिकता ऐसे लोगों को अपराधी बनाती है। अपनी छोटी सोच और झूठी शान की खातिर वे रूहाना जैसी लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर देते हैं। इस मानसिकता को यह फिल्म जड़ से खत्म करने का मैसेज देती है। फिल्म यह भी सन्देश देती है कि उन बेटियों को हौसला और सहारा भी देना चाहिए जो इस जख्म से निकलकर अपनी जिंदगी में एक मुकाम बनाने के लिए और अपना हक हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही हैं। फिल्म यह बात कहती है कि बुरी मानसिकता और गंदी सोच को समाप्त करने के लिए समाज के हर व्यक्ति को आगे आना होगा।

इस फिल्म को देश-विदेश के फिल्म फेस्टिवल में सराहा गया है और अब सिनेमाघरों में भी दर्शकों से बेहतर रिस्पॉन्स मिल रहा है। फिल्म एक बार अवश्य देखनी चाहिए।

रेटिंग्स 4 स्टार्स।

Antervyathaa Is The Most Promising Film Of This Week...

इस सप्ताह रिलीज़ होने वाली मोस्ट प्रॉमिसिंग फिल्म है ‘अंतर्व्यथा’

फिल्म समीक्षा

फिल्म ‘अंतर्व्यथा’

निर्देशक: केशव आर्या

निर्माता: दिनेश अहीर, भरत कवाड़, दीपक वशिष्ठ, सह निर्माता अक्षय यादव

कलाकार; हेमंत पाण्डेय, कुलदीप सरीन, गुलशन पाण्डेय , वीना चौधरी और केशव आर्या

रेटिंग्स: 4 स्टार्स

इस सप्ताह रिलीज़ होने वाली फिल्मों में निर्माता: दिनेश अहीर, सह निर्माता अक्षय यादव और निर्देशक केशव आर्या की फिल्म अंतर्व्यथा’ भी शामिल है, जो इस वीक की उम्दा फिल्म कही जा सकती है। बहुत सारे फिल्म फेस्टिवल्स में कई अवॉर्ड जीतने के बाद फिल्म ‘अंतर्व्यथा’ थियेटर में रिलीज हुई है. इस फिल्म से संगीतकार तोची रैना, हेमंत पांडे, कुलदीप सरीन, गुलशन पांडे, निर्देशक केशव आर्या, निर्माता दिनेश अहीर और सह निर्माता अक्षय यादव का नाम जुड़ा हुआ है।

उललेखनीय है कि इस फिल्म को दुनिया भर में अब तक 14 फिल्म फेस्टिवल्स में ८ अवार्ड्स मिल चुके हैं जिसमे बेस्ट डेब्यू फिल्म मेकर, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट एक्टर के अवार्ड शामिल हैं.

निर्देशक केशव आर्य और प्रोड्यूसर दिनेश अहीर, भरत कवाड़, दीपक वशिष्ठ और को प्रोड्यूसर अक्षय यादव की इस फिल्म को आल इंडिया के सिनेमा घरों में रिलीज़ किया गया है ।

जहां तक इस फ़िल्म की कहानी और सब्जेक्ट का सवाल है तो इस का विषय एकदम अलग है, आजकल की तमाम फिल्मों से एक डिफरेंट सिनेमा है। इसकी कहानी हर दर्शक के दिल को छुएगी और वह इससे कनेक्ट कर पाएगा।

इस फ़िल्म में कबीरा फेम तोची रैना ने  खुबसूरत संगीत दिया है.

फिल्म में हेमंत पाण्डेय, कुलदीप सरीन, गुलशन पाण्डेय , वीना चौधरी और केशव आर्या ने गज़ब की अदाकारी की है।  सुशीला मीडिया टेक प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बनाई गई फिल्म ‘अंतर्व्यथा’ की वन लाइनर यह है कि ‘ हर इंसान की एक अंतर्व्यथा होती है फिल्म इसी वन लाइनर पर बेस्ड है. हम बचपन में अक्सर झूठ बोल देते हैं, लेकिन मन में यह लगा रहता है कि हमने झूठ बोला है और सारी उम्र इंसान उस झूठ बोलने की गलती को महसूस करता रहता है. अपनी गलतियों को तो इन्सान दुसरे लोगों से छुपा सकता है, लेकिन वह उसे अपने आप से नहीं छुपा पाता. इन्सान को अपनी उस गलती के नतीजे में पैदा हुए अंदरूनी वेदना को झेलना ही पड़ता है। उसे अपने आप से जद्दोजहद करनी ही पड़ती है। यह मूवी यही दर्शाती है.”

फिल्म के निर्देशक और एक्टर केशव आर्य ने बड़ी मेहनत, लगन और शिद्दत से फिल्म ‘अंतर्व्यथा’ बनाई है. यह फिल्म सिनेमा लवर्स को एक बार अवश्य देखनी चाहिए, उन्हें निराशा नहीं होगी।

इस फिल्म को क्रिटिक रेटिंग्स 4 स्टार्स दी जाती है।

——Gazi Moin Ansari

Vinod Kumar’s Film Love In College Gives A Great Message Against Drugs...

ड्रग्स के विरुद्ध एक बेहतरीन सन्देश देती है विनोद कुमार की फिल्म “लव इन कॉलेज”

फिल्म समीक्षा: फिल्म “लव इन कॉलेज”

निर्माता विनोद कुमार

निर्देशक: विशन यादव

कलाकार: सपन कृष्णा, प्रिया, किरण कुमार, मुश्ताक खान, एहसान कुरैशी, अनिल यादव, दानिश राणा, रमेश गोयल

रेटिंग: 4 स्टार्स

इस सप्ताह रिलीज़ हुई निर्माता विनोद कुमार और डायरेक्टर विशन यादव की फिल्म “लव इन कॉलेज” यूथ खास कर कालेज ब्वायज और गर्ल्स के साथ साथ उनके पैरेंट्स के लिए आंख खोलने वाली एक फिल्म है। आर वी सीरीज मोशन पिक्चर्स के बैनर तले बनी यह फिल्म कॉलेज में ड्रग्स के बढ़ते चलन और नवजवानों पर पड़ रहे इसके बुरे प्रभाव को बखूबी दिखाती है। फिल्म “लव इन कॉलेज” का एक डायलॉग इसकी कहानी का सार है। “हम स्कूल कालेज को मंदिर का दर्जा देते हैं लेकिन कुछ लोगों ने उसे ड्रग्स का अड्डा बना कर रख दिया है.” यह आज के समाज का एक कड़वा सच है, जिसे फिल्म में प्रभावी रूप से पेश किया गया है। ड्रग्स के इस रैकेट में और कितने लोग शामिल होते हैं उनका भी पर्दा फाश किया गया है।

लव इन कॉलेज में एहसान कुरैशी, किरण कुमार और मुश्ताक खान जैसे एक्टर्स ने अपने काम से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया है।

फिल्म के गाने भी दर्शक बहुत पसंद कर रहे हैं। इस फिल्म में शान जैसे सिंगर्स ने अपनी आवाज़ दी है इसका म्यूज़िक ज़ी म्यूज़िक कंपनी ने रिलीज़ किया है।फिल्म को डिस्ट्रीब्यूटर शमशाद पठान ने अपने बैनर एस के इंटरप्राइजेज द्वारा रिलीज़ किया है।

इस फिल्म के लेखक अहमद सिद्दीकी, संगीतकार राजेश घायल, मिताली शाह, मलिका सिंह, दानिश राणा, सिंगर शान, सुष्मिता यादव, कोरियोग्राफर नरेंद्र चौहान, सरफराज खान हैं।
 

फिल्म के क्लाइमेक्स में किरण कुमार का एक इंस्पायरिंग संवाद है “जिस तरह स्कूल में बच्चो को छोड़ने उनके मां बाप जाते है उसी तरह पैरेंट्स को कॉलेज में भी जाकर देखना चाहिए कि उनके बच्चे किस वातावरण में पढ़ाई कर रहे हैं।”

दर्शकों को यह फिल्म एक बार अवश्य देखनी चाहिए।

रेटिंग : 4 स्टार्स

From Bhajan Singer To Bhajan Supari An Entertaining Journey Of Bhajan Supari...

Movie review: Bhajan Supari

Release date: 28th June

Banner: Aaryavarth Media Creations timing: 2h11Minute Language Hindi

Producer: Ila Pandey

Director/ story writer: Sujeet Goswami

Co Producer: DigVijay Singh

Rating: 3 Stars

From Bhajan Singer to Bhajan Supari; an entertaining journey of’Bhajan Supari’

No film is big or small, the subject of the movie is big or small. The subject of director Sujit Goswami’s film ‘Bhajan Supari’ is very unique. The hero of this movie is the story of the movie. Theater, film and TV actors have worked in Producer Ila Pandey’s film. There is no big face in her film, but the subject and concept of the movie is very big and different.

The story of this film is very intresting. Some funny and wonderful events occur in the house of the heroine with the hero of the movie. Due to these incidents, his life has changed. Dagadu bhai (boss), the villain of this movie, wants to take the wrong advantage of Bhajan Kumar alias Paras.

   

From Bhajan Singer to Bhajan Supari this is an entertaining journey, which sparks the magic of romance between comedy, Suspence and Horror.

The movie is an entertaining film. This is an experimental cinema, that creates an unique atmosphere. Writers bring in appealing humour. “Bhajan Supari” is a such piece of work that recognises the durability of meaningful cinema. This is a must watch film in today’s time. A brave story which will compel you to reflect on oneself. Brilliant performance by Sujit Goswami.

A Presentation of Aryavarta Media Creations “Bhajan Supari” Director Sujit Goswami, Producer Ila Pandey, Executive Producer Digvijay Singh, Camera Man Manish Patel, Screenplay Writer Prof. Nandlal Singh, co-authored by Uma Shankar Shrivastav, Vikram Singh, story writer Sujeet Goswami and artists are Sujit Goswami, Ila Pandey, Narendra Acharya, Umesh Bhatia, Sunil Jha, Nancy Seth, Aparna Pathak, Ashtabhuja Mishra, Vinay Sahai. The singers in the film are Udit Narayan Jha, Divya Kumar, Rekha Rao, Pamela Jain, Raja Hassan, Deepak Giria and Rahul. Lyrics writers are Dr. Brajendra Tripathi, Arya Priya, Sujit Goswami, musician Narendra Nirmal, dance director Kirti Kumar, Anuj Maurya and editor is Ajay Gupta. The movie ‘Bhajan Supari’ released in on June 28th.

Rating: 3 Stars

Rizwan Biopic Movie Is Based On Famous Businessman Of Africa Mr Rizwan Adatia...

रिज़वान अदातिया की इन्स्पायेरिंग बायोपिक है ‘रिजवान’

बहुत से लोगों की जिंदगी की कहानी इतनी इन्स्पायेरिंग होती है कि उनपर बायोपिक फिल्मे बनती हैं. रिज़वान अदातिया की कहानी भी बड़ी प्रेरणादायक है उनकी इसी इमोशनल और सक्सेस स्टोरी को अब एक फीचर फिल्म का रूप दे दिया गया है जिसका नाम है ‘रिजवान’. पिछले दिनों मुंबई के सन्नी सुपर साउंड में इस फिल्म की एक स्पेशल स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया जहाँ खुद रिज़वान अदातिया को बधाई देने के लिए कई हस्तियाँ आई.

एक आम आदमी कैसे दुनिया में बदलाव ला सकता है, इसी कहानी को पेश किया गया है फिल्म ‘रिजवान’ में. फिल्म देखते समय एहसास हुआ कि मानव सेवा के लिए जो काम रिज़वान अदातिया ने किया है वह बहुत सारे लोगों के लिए इन्स्पायेरिंग है.

    

रिज़वान अदातिया एक ऐसी हस्ती का नाम है जो अपनी बहुत सारी दौलत दूसरों के कल्याण और परोपकार के लिए दे देते हैं।  पोरबंदर में जन्मे और अब मोजांबिक अफ्रीका में बस चुके रिज़वान केन्या, तंजानिया, यूगांडा, जाम्बिया, रवांडा, कांगो, मेगागास्कर आदि सहित 10 अफ्रीकी देशों में सफल कंपनी चला रहे हैं। रिज़वान अदातिया फाउंडेशन अफ्रीका और भारत में विकास के कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है और मानव सेवा में लगा हुआ है।

रिज़वान अदातिया से बातचीत करके अंदाजा हुआ कि उन्होंने कितने संघर्ष से यह मुकाम हासिल किया है और किस तरह उनके मन में गरीब और जरुरतमंद लोगों की मदद का जज्बा जागा. जो आदमी 10वीं क्लास फेल हो हो, जो 17 साल की उम्र में 175 रुपए महीने पर काम करता हो और जेब में सिर्फ 200 रुपए लेकर कांगो के सफर पर निकला हो, उसके लिए जीवन का सफ़र आसान नहीं रहा होगा मगर रिजवान ने बड़ी हिम्मत से काम किया और आज वह दूसरों के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं. चूंकि वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए, इसलिए रिजवान शिक्षा का खर्च नहीं उठा पाने वाले लोगों के लिए मसीहा बनके सामने आते हैं और लोगों की मदद करते हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों की मदद करना आज उनका एक मिशन बन चुका है।

रिज़वान अदातिया फाउंडेशन की स्थापना करने वाले रिज़वान अदातिया अपने स्रोतों, अनुभवों एवं ज्ञान को जरूरतमंदों के बीच वर्षों से लगातार बांट रहे हैं।

रिज़वान चाहते हैं कि देश से गरीबी, कुपोषण, बीमारियों का खात्मा हो तथा शिक्षा व रोजगार के अवसर सबको मिलें.

रिज़वान अपनी कामयाबी का क्रेडिट, बांटने की सोच, ध्यान की शक्ति एवं योग से प्राप्त लाभ को देते हैं। वह जब १९८६ में भारत में प्रति माह मात्र १७५ रु. कमाते थे, तभी से उन्होंने दान देने में दिलचस्पी दिखाई थी. उन्होंने अपनी पहली कमाई उस गरीब व्यक्ति को दे दी थी जो दवाएं खरीदने की क्षमता नहीं रखता था। उन्हें लगता है कि वह उनके जीवन का सब से खुशी का दिन था। इस तरह का कार्य उन्होंने अपने जीवन में जारी ही रखा है. इस फिल्म में भी बड़े इमोशनल ढंग से यह सीन फिल्माया गया है जब वह एक बूढ़े व्यक्ति को अपनी कमाई की रकम देते हैं.

रिज़वान का कहना है कि, ‘जिनके पास कुछ भी नहीं है हम उनमें उम्मीद, हिम्मत और चेतना की किरण जगाते हैं और जिनके पास काफी धन हैं उन्हें हम दान की प्रेरणा देते हैं।’

रिज़वान अदातिया फाउंडेशन लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर उनके जीवन के अँधेरे को दूर कर उन्हें सबकी तरह जिंदगी गुज़ारने का मौका प्रदान करने के लिए काम करता है।

जरूरतमंदों को चिकित्सा सुविधाएं देने, लाखों लोगों को आत्मनिर्भर बनाने, शिक्षा के स्तर में सुधार लाने, युवकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने का काम रिजवान और उनकी टीम करने में जुटी हुई है।

रिजवान रोज़ सुबह ३ बजे उठते हैं और इंसानियत की भलाई के लिए दुआएं करते हैं, खुद से बातें करते हैं, आगे की सोचते हैं.  जरुरतमन्दो, गरीब और लाचार लोगों की मदद से उन्हें जो सुकून मिलता है, उसका कोई जवाब नहीं है इसलिए वह मानव सेवा में ही खुद को समर्पित कर देना चाहते है.

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Naughty Gang A Complete Entertaining Movie Critic Rating 2.5 Star...

टाइमपास मनोरंजक फ़िल्म है ‘ नॉटी गैंग ‘ ( 2.5 स्टार )

पंकज कुमार विराट निर्देशित फिल्म ‘नॉटी गैंग’ में नए युवा कलाकारों ने बड़े ही सहज अंदाज़ में कॉमेडी करने की कोशिश की है। यह फ़िल्म खासकर युवा दर्शकों को ध्यान में रखकर बनायी गयी है।

फ़िल्म की कहानी में एक गांव के तीन लड़के बल्लू, राजा और हैरी की शरारत से सभी परेशान रहते हैं। यहां तक कि बल्लू अपने माता पिता को भी नहीं छोड़ता। तीनों की दोस्त विद्या उन्हें सही रास्ते पर चलने के लिए हमेशा समझाती रहती है मगर वे शरारत करने से बाज नहीं आते।

विद्या और बल्लू बचपन से ही एक दूसरे को चाहने लगते हैं। बड़ा होकर तीनों लड़के ठगी और हेरा फेरी करके पैसे कमाना चाहते हैं। फिर वह तीनों गांव छोड़कर शहर की ओर बढ़ते हैं और अपने काम को अंजाम देते हुए पुलिस की नज़र में आ जाते हैं। पुलिस से बचते बचते तीनों एक नैचुरल हेल्थ थेरेपी सेंटर पहुंच जाते हैं। वहां पर खूबसूरत लड़कियों द्वारा हीलिंग कराया जाता है। सेंटर की संचालिका लीला खुद को मृतक साबित कर भूतनी का रूप धारण कर ग्राहकों को भगाती रहती है और सबका माल हड़प लेती है। इस काम में दूसरी लड़कियां भी उससे मिली होती हैं। जिनमें माया की शक्ल हूबहू विद्या से मिलती है।

तीनों लड़के को लीला का राज़ पता चल जाता है और वे उसे ब्लैकमेल करते हुए सेंटर में मुफ्त की रोटी तोड़ने लग जाते हैं। वहां विद्या को देखकर तीनों दोस्त आश्चर्यचकित हो जाते हैं। इधर तीनों लड़कों से परेशान लीला अपने आशिक रोमियो डॉन को मदद के लिए मनाती है। दरअसल डॉन रोमियो अपनी दरियादिली की चक्कर में सब कुछ गंवा बैठा है। उसे लूटने में लीला का भी हाथ होता है जिसके पैसे से वह हेल्थ सेंटर चला रही है।

अंत में क्या विद्या अपने प्रेमी के साथ उसके दोस्तों को सही रास्ते पर ला सकती है ? क्या लीला और डॉन रोमियो तीनों लड़के से अपना बचाव कर पाते हैं ? यह सब देखना बड़ा दिलचस्प होगा।

पंच परमेष्ठी प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड और त्रयम्बकं प्रोडक्शन द्वारा निर्मित इस फ़िल्म में निर्देशक पंकज कुमार विराट ने फ़िल्म में मनोरंजन दिखाने के लिए कुछ नए सीन डाले हैं। पहली बार उन्होंने निर्देशन में हाथ आजमाया है और काफी हद तक सफल हुए हैं। कलाकारों के एक्सप्रेशन पर थोड़ा ध्यान दिया जा सकता था। फ़िल्म की सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है। लोकेशन भी देखने लायक है।

गाने सुनने योग्य हैं।

कुल मिलाकर यह फ़िल्म टाइमपास के लिए देखी जा सकती है।