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हजारों साल बाद धरती पर स्थापित पहला पंचमुघ ब्रह्मा मंदिर ।...

12 अप्रेल 2022 ब्रह्मलोकम के वार्षिक संभारम मे मुख्य अतिथि आशफाक खोपेकर की उपस्थिति  से ब्रह्मलोकम के जनक और मुख्य ब्राह्माश्री शरदचंद्र बोस और हजारो लोगो ने मिलकर जात पात, उंच निच,अमीर गरीब सारे भेदभाव को हटाकर बडी शालीनता और प्रसन्नता के माहोल मे मनाया।

कीलेपटटाकुरीची,तेनाकसी,तामिळनाडु स्थापित  ब्रह्मलोकम पंचमुखी ब्रह्मदेवं मंदिर में मुख्य देवता (मूर्ति) 5 सिरों वाले ब्रह्मपरब्रह्म हैं, जो सृष्टि के 5 तत्वों (पंचभूतों) अंतरिक्ष, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी को दर्शाते  हैं।

मंदिर में और देवता  इस क्रम में स्थापित किये हैं, ब्रह्मनवग्रह,ब्रह्मनाग, ब्रह्ममहागणपति, ब्रह्मवेल मुरुगन, ब्रह्मसबरी अय्यप्पन, ब्रह्मअंजनेयन, ब्रह्ममहाविष्णु, ब्रह्ममहाशिव, ब्रह्मसरस्वती, ब्रह्मलक्ष्मी, ब्रह्मशक्ति, पंचमुघब्रह्म परब्रह्म के रूप में।

ब्रह्मा एडवोकेटे के के सरचंद्र बोस 40 से अधिक वर्षों से भारत मे हिंदू धर्म में “जाति” और “जाति व्यवस्था” विषय पर शोध कर ये निष्कर्ष निकाला है कि पौधों और जानवरों के बीच जाति का उपयोग किया जाता है क्योंकि उनके बीच विभिन्न उप-प्रजातियां हैं।  चूंकि मनुष्यों में ऐसी कोई उप-प्रजाति नहीं है, जाति मनुष्यों के बीच द्वेश पैदा करती है।

केके बोस जी को यह भी ज्ञात हुआ है कि त्रिमूर्ति ब्रह्म-विष्णु-शिव इस रचनात्मक रूप में ब्रह्मा सर्वशक्तिमान ईश्वर हैं। जीविका रूप विष्णु, विनाशकारी रूप शिव। इस सिद्धांत के आधार पर कि सृजन के बिना जहां में जीविका नहीं हो सकती है, सृजन के बिना विनाश नहीं हो सकता है और चूंकि ब्रह्मा को न केवल पौधों और पेड़ों, जानवरों, मनुष्यों के निर्माता के रूप में स्वीकार किया जाता है, बल्कि  प्राणियों और गैर-प्राणियों से युक्त पूरे ब्रह्मांड में, ब्रह्मा सर्वशक्तिमान ईश्वर हैं और विष्णु, शिव, और त्रिदेवी सरस्वती-लक्ष्मी-शक्ति मनुष्य की प्रक्रिया को समझने के लिए ब्रह्मा के विभिन्न रूप हैं।इसीलिए सृष्टि के समय से ही विद्वान व्यक्ति को ब्राह्मण कहा जाता है – ब्रह्म ज्ञानति ब्राह्मणः, जिसके पास ब्रह्मज्ञान या ब्रह्म का ज्ञान है, वह ब्राह्मण है।

इसी सच्चाई से लोगो को अवगत कराने हेतु ये कदम उठाया है।

केके बोस ने 30 सदस्यीय टीम के साथ 63 दिन (6 दिन केरल यात्रा, 3 दिन पोर्टब्लेयर यात्रा, 54 दिन भारत यात्रा)  भारत यात्राएं 2014 मे आयोजित कीं, जिसका शीर्षक था जाति निर्मारंजना बोधवतकरण संदेश यात्रा और प्रत्येक राज्य की राजधानी में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करके लोगो की भारी भिड को संबोधित कर सच्चाई बताई थी ।

95 दिनों की एक और यात्रा (caste education bharat yatra) 2015 में 30 सदस्यीय टीम के साथ 500+ किलोग्राम पंचलोहा ब्रह्मदेव मूर्ति (9 फीट उंची) एक मोबाइल मंदिर में स्थापित कर जिन्होंने करोड़ों भक्तों को आशीर्वाद दिया, और कई सार्वजनिक उपक्रम किये और सभी को ब्राह्मण घोषित किया।

अगला कदम इस मंदिर की भूमि पूजा 17 दिसंबर 2015 को की गई थी, मंदिर का शिलान्यास समारोह 12 अप्रैल 2016 को किया गया था, पूरे मंदिर का निर्माण  मोबाइल मंदिर में ब्रह्मा के सामने  किया गया था, और देवताओं के प्राणप्रतिष्ठा और कुंभाभिषेक के साथ-साथ 10 दिवसीय विश्व अंतर्राष्ट्रीय ब्रह्म  माँ-गायत्री महायज्ञ 3 अप्रैल से 12 अप्रैल 2017 तक किया गया था, और मंदिर ब्रह्मपरब्रह्म के महाकुंभभिषेक के बाद 12 अप्रैल 2017 की मध्यरात्रि से भक्तों के लिए खोला गया था।

मंदिर पूर्व-वैदिक सिद्धांतों पर बनाया गया है जैसे कि कोई द्वार नहीं और कोई द्वारपाल (कोई द्वारपाल नहीं), प्रतिदिन 24 घंटे खुला, किसी भी धर्म या धर्म का व्यक्ति मंदिर में प्रवेश कर सकता है और प्रार्थना कर सकता है, किसी भी प्रकार की अस्पृश्यता  पुरुषों या महिलाओं किसी के लिए भी इस मंदिर में लागू नहीं है।  महिलाएं महीने के सभी दिनों में मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं।  जिन लोगों ने परिवार में मृत्यु का अनुभव किया है, वे मृत्यु की तारीख के पहले दिन से भी जब चाहें मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं।  इस मंदिर में मंदिर के दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी धर्मों के त्योहार आयोजित किए जाएंगे।  भक्त ब्रह्मनवग्रहों, ब्रह्मनागों, ब्रह्ममहागणपति, ब्रह्मवेल मुरुगन, ब्रह्मसबरी अय्यप्पन, ब्रह्मअंजनेयन, ब्रह्ममहाविष्णु, ब्रह्ममहाशिव, ब्रह्मसरस्वती, ब्रह्मलक्ष्मी, ब्रह्मशक्ति परब्रह्म से शुरू होने वाले प्रार्थना प्रसाद का पालन कर सकते हैं, और फिर पंचम गर्भगृह में प्रार्थना करने के लिए गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं।

ब्रह्मलोकम में सभी देवताओं (मूर्ति) के प्रतिष्ठा और कुंभाभिषेक ब्रह्मश्री केके सरचंद्र बोस द्वारा इस उद्देश्य के लिए कठोर व्रत (तपस्या) करने के बाद किए गए थे और इसलिए यहां सभी देवताओं (मूर्ति) में जीवन और देवत्व है और सक्षम है  सच्चे भक्तों को कोई भी वरदान देने के लिए। ।

हजारों साल बाद धरती पर स्थापित  पहला पंचमुघ ब्रह्मा मंदिर।

Shrimad Bhagwat Katha is the gate to all the happiness in Kalyug – Pujya Shri Devakinandan ji Thakur Maharaj is in Mumbai from December 15 – A 7-day Bhagwat Katha organized...

श्रीमद भागवत कथा ही कलयुग में समस्त सुखों का द्वार है – पूज्य श्री देवकीनंदन जी ठाकुर महाराज l 15 दिसंबर से मुंबई में है 7 दिवसीय भागवत कथा का आयोजन l

वैदिक संस्कार व धार्मिक मूल्यों के प्रचार प्रसार के लिए श्रीमत भागवत कथा का आयोजन पूरे विश्व में किया जाता है l भक्त शिरोमणि श्री देवकीनंदन जी ठाकुर महाराज ने पिछले एक दशक से भूमण्डल घूम घूम कर प्रभू श्रीकृष्ण की महिमा जन जन तक सुनाई है l लाखों करोड़ों श्रद्धालु ठाकुर जी महाराज के प्रवचनों के लिए उमड़ पडती है l

दिसंबर 15 दिसंबर से वाणिज्य नगरी मुंबई में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी विश्व शांति सेवा समिति के तत्वध्यान में पूज्य कथावाचक श्री देवकीनंदन जी ठाकुर महाराज के श्रीमुख से श्रीमद भागवत कथा आयोजित की जा रही है l

15 दिसंबर दोपहर 12 बजे से हज़ारों महिलाओं द्वारा कलश यात्रा सपतेसर सालासर धाम मंदिर से निकालकर कथा स्थल ‘बाळासाहेब ठाकरे मैदान, इन्दरलोक फेस 3,  भायंदर पूर्व तक जायेगी l

उपरांत पूज्य ठाकुर जी महाराज द्वारा दिनांक 15 से 23 दिसंबर तक प्रभू कृष्ण भगवान के अलग अलग जीवन प्रेरणादायी घटनाओं का का वर्णन किया जायेगा l

श्रीमद भगवत गीता कथा के दौरान श्री महाराज कृष्ण जन्म से लेकर श्रीकृष्ण की अनेकों बाल लीलाओं का वर्णन भक्तों कोई श्रवण कराएंगे l भागवत कथा के प्रारम्भ में आरती व विश्वशान्ति के लिए प्रार्थना की जाएगी l

महाराज श्री ठाकुर जी का कहना है – आपके दुख का कारण दुनियां से आपका बंधन है, पूरे संसार में आपको सुख केवल ठाकुर जी यानी भगवान श्रीकृष्ण ही दिला सकते है l

कथा में आने के किये सिर्फ मुंबई के ही नहीं वल्कि महाराष्ट्र के अन्य भागों से व गुजरात से भी लोग हज़ारों की मात्रा में कथा स्थल पर पधारे हुए है l भीड़ देख कर प्रशासन ने भी पुख्ता इंतज़ाम किए है l इन सात दिनों में जो हर्ष उल्लास से श्रीकृष्ण लीलाओं का वर्णन होगा आपको कई टीवी चैनलों के माध्यम से लाइव मिलता रहेगा l