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Bahar-E-Urdu Day 1 Opens To A Full House As Javed Akhtar, Sachin Pilgaonkar, Shekhar Suman & Ali Asgar Set The Mood...

Bahar-e-Urdu: Celebrating 50 Years of Maharashtra Urdu Sahitya Academy

The grand celebration of Bahar-e-Urdu opened to a packed audience at Dome SVP Stadium, Worli, as Urdu’s timeless magic came alive through poetry, wit, and music.

The evening began with a Qaumi Yakjehti Geet by Farkhanda and the Kohinoor Music Academy, followed by Mujeeb Khan’s evocative Urdu theatrical presentation Ishq Jale To Jale Aisa on the verses of Sahir Ludhianvi.

A star-studded Mushaira featuring Rajesh Reddy, Obaid Azam Azmi, Shakeel Azmi, Mehshar Afridi, Qamar Siddiqui, and Shikha Awdhesh transported the audience into the lyrical world of Urdu poetry.

Renowned humourist Surender Sharma had the crowd in splits with his signature wit, while a thought-provoking panel on “Filmon Mein Urdu” featuring Sachin Pilgaonkar, Rumy Jafry, and Syed Qadri, moderated by Shekhar Suman, explored the language’s poetic influence on Indian cinema.

A lively interactive session with Javed Akhtar and Rumy Jafry drew thunderous applause, highlighting the enduring resonance of Urdu in Indian storytelling.

The show, hosted with charisma and humour by Shekhar Suman and Ali Asgar, concluded with the national anthem.

As the first day came to a close, Bahar-e-Urdu reaffirmed that Urdu is not just a language—it is an emotion that unites hearts, transcending generations.

 

Bahar-E-Urdu Day 1 Opens To A Full House As Javed Akhtar, Sachin Pilgaonkar, Shekhar Suman & Ali Asgar Set The Mood

बहार-ए-उर्दू: महाराष्ट्र उर्दू साहित्य कला के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न ! जावेद अख्तर,शेखर सुमन ,सचिन पिलगांवकर समेत तमाम हस्तियां बनेंगी उर्दू साहित्य कला का हिस्सा !...

महाराष्ट्र उर्दू साहित्य अकादमी अपनी स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में बहार-ए-उर्दू नामक एक भव्य समारोह का आयोजन कर रही है, जिसमें मुंबई उर्दू साहित्य, कला और संगीत की समृद्ध परंपराओं में डूबने के लिए तैयार है। महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विभाग द्वारा आयोजित यह तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम 6, 7 और 8 अक्टूबर 2025 को वर्ली के प्रतिष्ठित डोम एसवीपी स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा।

शब्दों, संगीत और विरासत का उत्सव

यह आयोजन उर्दू के शाश्वत आकर्षण का संगम होगा – विचारोत्तेजक संगोष्ठियों, पैनल चर्चाओं और कहानी-कथन सत्रों से लेकर ग़ज़लों, कव्वाली और सूफ़ी संगीत की भावपूर्ण प्रस्तुतियों तक। प्रदर्शनी स्टॉल सांस्कृतिक ताज़गी में चार चाँद लगाएँगे, जहाँ उर्दू की साहित्यिक और कलात्मक यात्रा का जश्न मनाने वाली कृतियाँ प्रदर्शित की जाएँगी।

 हर दिन प्रस्तुतियों का अनूठा मिश्रण देखने को मिलेगा:

पहले दिन (6 अक्टूबर) की शुरुआत एक प्रदर्शनी और उद्घाटन समारोह के साथ होगी, जिसके बाद एक भावपूर्ण कौमी यकजेहती गीत, एक उर्दू नाटक और प्रशंसित कवियों द्वारा प्रस्तुत एक प्रसिद्ध मुशायरा होगा। शाम का कार्यक्रम पुरस्कार वितरण समारोह, हास्य कलाकार सुरेंद्र शर्मा के साथ एक सत्र, सचिन पिलगांवकर और रूमी जाफरी व अन्य के साथ “फिल्मों में उर्दू” पर एक पैनल चर्चा, और जावेद अख्तर व रूमी जाफरी के साथ एक रोचक प्रश्नोत्तर सत्र में बदल जाएगा। इस कार्यक्रम की मेजबानी शेखर सुमन और अली असगर करेंगे, और समापन प्रसिद्ध साबरी बंधुओं द्वारा संचालित एक जोशीली सूफी/कव्वाली संध्या के साथ होगा।

दूसरे दिन (7 अक्टूबर) युवा कवियों द्वारा एक मुशायरा, उर्दू भाषा पर एक अकादमिक संगोष्ठी, एक जीवंत फैशन शो और एक दास्तानगोई प्रस्तुति के साथ उत्सव जारी रहेगा। शाम के मुख्य आकर्षणों में झेलम सिंह द्वारा एक भावपूर्ण सूफी प्रस्तुति और विभिन्न श्रेणियों में 156 पुरस्कारों का वितरण शामिल है।  इस दिन की मेज़बानी प्रिया मलिक और इम्तियाज़ खलील करेंगे।

तीसरा दिन (8 अक्टूबर) संगीत की शानदार प्रस्तुति से भरपूर होगा, जिसमें सूफ़ी संगीत, ग़ज़ल और कव्वाली की प्रस्तुतियाँ शामिल होंगी। मुख्य आकर्षण मुशायरे, नाट्य प्रस्तुतियाँ और शबाब साबरी की एक भावपूर्ण कव्वाली प्रस्तुति होगी। समापन समारोह शेखर सुमन द्वारा आयोजित किया जाएगा, जिसका समापन पद्मश्री अनूप जलोटा द्वारा एक भव्य समापन समारोह में होगा, जिनकी ग़ज़लों ने दुनिया भर के श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया है।

एक जीवंत विरासत

उर्दू हमेशा से एक भाषा से कहीं बढ़कर रही है – यह संस्कृतियों, भावनाओं और साझी विरासत का एक सेतु है। पचास वर्षों से, महाराष्ट्र उर्दू साहित्य अकादमी इस विरासत को संजोए हुए है और कवियों, लेखकों, कलाकारों और कलाकारों को इस ज्योति को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। बहार-ए-उर्दू न केवल अतीत का उत्सव है, बल्कि भविष्य के लिए एक वादा भी है – जो आने वाली पीढ़ियों के लिए उर्दू की सुंदरता को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए अकादमी की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

कार्यक्रम विवरण

दिनांक: 6, 7, 8 अक्टूबर 2025

समय: दोपहर 3:00 बजे से रात 10:00 बजे तक (6 और 7 अक्टूबर), दोपहर 2:00 बजे से रात 9:00 बजे तक (8 अक्टूबर)

स्थान: डोम एसवीपी स्टेडियम, लाला लाजपतराय मार्ग, वर्ली, मुंबई।

बहार-ए-उर्दू – महाराष्ट्र उर्दू साहित्य अकादमी के 50 वर्ष

 

दिन 1 – 6 अक्टूबर 2025

होस्ट: शेखर सुमन और अली असगर

युवा कवियों द्वारा ओपन माइक: इश्तियाक असर, अब्दुस्समद सफी, आबिद असीर, रियाज मतनवी, इलियास गाजी, सैयद शाकिर, शादाब हुसैन, अफरोज आलम, आरिफ इनामदार, अमजद, अफसर, ताबिश अख्तर, साजिद अख्तर

*   उद्घाटन प्रदर्शन (कौमी यकजेहती गीत): फ़र्ख़ंदा, कोहिनूर संगीत अकादमी

*   उर्दू नाट्य नाटक: मुजीब खान (इश्क जले तो जले ऐसा), साहिल लुधियानवी

*   मुशायरा (सेलिब्रिटी कवि): राजेश रेड्डी, उबैद आजम आजमी, शकील आजमी, महसर अफरीदी, कमर सिद्दीकी, शिखा  अवदेश

*   प्रश्नोत्तर सत्र: जावेद अख्तर और रूमी जाफ़री

*   पैनल चर्चा – फिल्म मुख्य उर्दू: सचिन पिलगांवकर, रूमी जाफरी, सैयद कादरी, शेखर सुमन द्वारा संचालित

*   हास्य कवि: सुरेंद्र शर्मा

*   सूफी/कव्वाली रात: साबरी ब्रदर्स

 

दिन 2 – 7 अक्टूबर 2025

मेजबान: प्रिया मलिक और इम्तियाज खलील

*   युवा कवियों द्वारा मुशायरा: कायम शाह, अहद सईद, ज़ैन लखीमपुरी, रियाज़ मतनवी, अफ़रोज़ आलम, सैयद शाकिर, अन्य

*   उर्दू भाषा पर सेमिनार: डॉ. अब्दुल्ला

*   फैशन शो: फारुक सैय्यद ग्रुप और बिजनोई जी

*   दास्तानगोई प्रदर्शन: फ़ौज़िया (मीना कुमारी नाटक)

*   सूफी रात्रि प्रदर्शन: झेलम सिंह (सूफी संगीत)

*   पुरस्कार वितरण: विभिन्न श्रेणियों में 156 पुरस्कार

 

दिन 3 – 8वाँ  अक्टूबर 2025

होस्ट: शेखर सुमन

 

*   युवा कवियों द्वारा ओपन माइक: सैय्यद सलमान अब्बास, गुलाम हुसैन, अज़हर शाह, अन्य

*   बैत बाजी (उर्दू कविता प्रतियोगिता): रईस हाई स्कूल और जूनियर कॉलेज, भिवंडी

*   तमसीली मुशायरा (नाटकीय मुशायरा): जाहिद अली

*   उर्दू नाट्य नाटक: इक़बाल नियाज़ी

*   युवा कवियों द्वारा मुशायरा: कलीम समर और अन्य

*   कव्वाली रात: शबाब शांति

*   ग्रैंड फिनाले – ग़ज़ल: पद्मश्री अनुप जलोटा

 

बहार-ए-उर्दू: महाराष्ट्र उर्दू साहित्य कला के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न ! जावेद अख्तर,शेखर सुमन ,सचिन पिलगांवकर समेत तमाम हस्तियां बनेंगी उर्दू साहित्य कला का हिस्सा !

بہارِ اُردو کا پہلا دن: جاوید اختر، سچن پیلگاؤنکر، شیکھر سمن اور علی اصغر کی موجودگی میں ہاؤس فل اسٹیڈیم میں شاندار آغاز...

 

ورلی میں واقع ڈوم ایس وی پی اسٹیڈیم میں ’’بہارِ اردو‘‘ کا عظیم الشان آغاز ایک بھرے ہوئے مجمعے کے درمیان ہوا، جہاں اردو کی لازوال شاعری، مزاح اور موسیقی نے سامعین کے دل جیت لیے۔

شام کا آغاز فرخندہ اور کوہِ نور میوزک اکیڈمی کے پیش کردہ قومی یکجہتی گیت سے ہوا، جس کے بعد مجیب خان نے ساحر لدھیانوی کے اشعار پر مبنی اپنی پُراثر تھیٹر پیشکش ’’عشق جلے تو جلے ایسا‘‘ سے حاضرین کو مسحور کر دیا۔

اس کے بعد منعقدہ ایک ستاروں سے سجے مشاعرے میں راجیش ریڈی، عبید اعظم اعظم، شکیل اعظم، محشر افریدی، قمر صدیقی اور شکھا اوادھیش نے اپنی شاعری سے سامعین کو اردو کے نغمگی بھری دنیا میں پہنچا دیا۔

مشہور مزاح نگار سریندر شرما نے اپنے مخصوص طنزیہ و مزاحیہ انداز میں مجمعے کو خوب ہنسایا، جب کہ ’’فلموں میں اردو‘‘ کے عنوان پر ہونے والی ایک بصیرت افروز پینل گفتگو میں سچن پیلگاؤنکر، رومی جعفری اور سید قادری نے شرکت کی، جس کی میزبانی شیکھر سمن نے کی۔ اس نشست میں اردو زبان کے فلمی دنیا پر اثرات کو خوبصورتی سے اجاگر کیا گیا۔

بعد ازاں جاوید اختر اور رومی جعفری کے ساتھ ایک دلچسپ انٹرایکٹو سیشن منعقد ہوا، جسے سامعین نے زبردست تالیاں بجا کر سراہا۔ اس نشست نے اردو زبان کی کہانی سنانے کی روایت کو خراجِ تحسین پیش کیا۔

پروگرام کی میزبانی شیکھر سمن اور علی اصغر نے اپنے دلکش اور پرمزاح انداز میں کی۔ محفل کا اختتام قومی ترانے کے ساتھ ہوا۔

پہلے دن کی اس یادگار محفل نے یہ ثابت کر دیا کہ اردو صرف ایک زبان نہیں، بلکہ ایک جذبہ ہے، جو دلوں کو جوڑتا ہے اور نسلوں کو آپس میں مربوط کرتا ہے۔

 

بہارِ اُردو کا پہلا دن: جاوید اختر، سچن پیلگاؤنکر، شیکھر سمن اور علی اصغر کی موجودگی میں ہاؤس فل اسٹیڈیم میں شاندار آغاز

बहार-ए-उर्दू दिवस 1: जावेद अख्तर, सचिन पिलगांवकर, शेखर सुमन और अली असगर की मौजूदगी में खचाखच भरे स्टेडियम में शानदार आग़ाज़...

महाराष्ट्र उर्दू साहित्य अकादमी के 50 वर्षों के जश्न का आग़ाज़

वर्ली स्थित डोम एसवीपी स्टेडियम में “बहार-ए-उर्दू” का भव्य उद्घाटन एक पूरी तरह भरे हुए सभागार के बीच हुआ, जहाँ उर्दू की  शायरी, हास्य और संगीत की जादुई शाम ने सभी को मोह लिया।

शाम की शुरुआत फर्खंदा और कोहिनूर म्यूज़िक अकैडमी द्वारा प्रस्तुत “क़ौमी यकजहती गीत” से हुई, जिसके बाद मजीब ख़ान ने साहिर लुधियानवी की शायरी पर आधारित नाट्य प्रस्तुति “इश्क़ जले तो जले ऐसा” से दर्शकों को भावविभोर कर दिया।

इसके बाद हुए सितारों से सजे मुशायरे में राजेश रेड्डी, ओबैद आज़म आज़मी, शकील आज़मी, मेहशर अफरीदी, क़मर सिद्दीकी और शिखा अवधेश ने अपनी शायरी से सभी को उर्दू की दिलकश दुनिया में पहुंचा दिया।

मशहूर हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में दर्शकों को खूब हँसाया, वहीं “फ़िल्मों में उर्दू” विषय पर हुए एक गहन संवाद में सचिन पिलगांवकर, रूमी जाफ़री और सैयद क़ादरी ने शिरकत की। इस पैनल चर्चा का संचालन शेखर सुमन ने किया, जिसमें उर्दू भाषा के सिनेमा पर प्रभाव को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया।

इसके बाद जावेद अख्तर और रूमी जाफ़री के साथ एक जीवंत इंटरएक्टिव सत्र हुआ, जिसे दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से सराहा। इस सत्र ने उर्दू की भारतीय कहानी कहने की परंपरा में अहम भूमिका को रेखांकित किया।

शो की मेज़बानी शेखर सुमन और अली असगर ने अपने आकर्षक और हास्यपूर्ण अंदाज़ में की। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

पहले दिन की इस यादगार शाम ने यह साबित कर दिया कि उर्दू केवल एक भाषा नहीं, बल्कि एक जज़्बा है, जो दिलों को जोड़ता है और पीढ़ियों को साथ लाता है।

 

बहार-ए-उर्दू दिवस 1: जावेद अख्तर, सचिन पिलगांवकर, शेखर सुमन और अली असगर की मौजूदगी में खचाखच भरे स्टेडियम में शानदार आग़ाज़

دن نوجوان آوازیں، ادبی حکمت و روحانی شب...

اردو — دوسرا دن

نوجوان آوازیں، ادبی حکمت و روحانی شب

ممبئی، ۷ اکتوبر ۲۰۲۵:

مہاراشٹر اردو ساہتیہ اکیڈمی کی پچاس سالہ خدمات کے جشن “بہار اردو” کے دوسرے دن نے ڈوم ایس وی پی اسٹیڈیم ورلی کو اردو کی فصاحت، فکر اور جذبات سے روشناس کروایا۔

بہار اردو کے دوسرے دن کا آغاز ایک اوپن مائیک مشاعرہ سے ہوا جس میں نوجوان شعراء نے اپنے کلام سے سامعین کو محظوظ کیا۔ ان میں قائم شاہ، احد سعید، پائل پانڈے، زین لکھیم پوری، ریاض عاصی، شوکت علی، عدنان شیخ، میانک ورما، عمران عطائی اور مقصود آفاق نے اپنے خوبصورت کلام پیش کیے۔

بعد ازاں “مہاراشٹر میں اردو ادب” کے عنوان سے ایک مذاکرے کا انعقاد ہوا جس میں ماڈریٹر کے فرائض ڈاکٹر تبسم خان نے انجام دیے۔ اس مذاکرے میں ڈاکٹر شیخ احرار احمد (تھانے)، ڈاکٹر قاضی نوید صدیقی (اورنگ آباد)، ڈاکٹر عبداللہ امتیاز احمد (ممبئی) اور پروفیسر شاہد نوخیز نے اپنے مقالے پیش کیے۔

اس کے بعد “جدید ٹیکنالوجی اور اردو” کے عنوان سے ایک علمی محفل کا انعقاد ہوا جسے محمد عرفان رضا نے ماڈریٹ کیا۔ اس نشست میں ڈاکٹر محمد تابش خان (بھیونڈی)، ڈاکٹر لِیاقت علی (دہلی)، ڈاکٹر پرویز احمد، اور ڈاکٹر محمود مرزا نے جدید ٹیکنالوجی کے دور میں اردو کو میسر مواقع پر امید افزا گفتگو کی۔

شام کے اوقات میں تمثیلی مشاعرے کے عنوان سے ایک خوبصورت محفل منعقد ہوئی۔ اس نشست میں زاہد علی سید، منظُور الاسلام ساجد اے حمید، رضیہ بیگ، نعمان خان، نزہت پروین عقیل کاغذی، طلحہ ہاشمی، محسن حسنین شیخ اور خان شاداب محمد نے مرزا غالب، طاہر فراز، انجم رہبر اور عبید اعظم عظمی اور پروین شاکر جیسے مشہور شعراء کی تمثیل کی اور محفل کو چار چاند لگا دیے۔

تمثیلی مشاعرے کے بعد “داستان گوئی” کی محفل میں فوزیہ داستان گو نے سماں باندھ دیا تو اس کے فوری بعد ایک دل نشیں محفل میں صوفی گلوکارہ جہلم سنگھ نے اپنے نغمات پیش کیے جس پر بالخصوص نوجوان سامعین نے دل کھول کر داد دی۔

شام کے ہی ایک اہم سیشن میں اردو زبان و ادب کی خدمت کرنے والوں کو خراجِ تحسین پیش کیا گیا اور ان کے درمیان مختلف زمروں میں ایوارڈ تقسیم کیے گئے۔ اس میں نوجوان قلمکاروں کی حوصلہ افزائی کی گئی۔ اردو اخبارات و رسائل کے بہترین لے آؤٹ ڈیزائنرس کی صلاحیتوں کا اعتراف کیا۔ اسکول اور کالج و یونیورسٹی سطح پر اساتذہ کی تدریسی خدمات کا اعتراف کیا گیا۔ اس کے ساتھ ہی مختلف زمروں میں لکھی گئی بہترین کتابوں کے لیے انعامات تقسیم کیے گئے۔  آخر میں صوفی برادرس کی جانب سے محفل قوالی کے ساتھ “بہار اردو” کے اس خوبصورت دن کا اختتام ہوا۔

بہارِ اردو کا دوسرا دن محض ایک پروگرام نہ تھا بلکہ یہ ایک زندہ جشنِ وراثت، فکر و فن کا مظہر تھا۔ جس میں یہ یاد دہانی کروائی گئی کہ اردو صرف تاریخ کی کتابوں کا حصہ نہیں، بلکہ ہر اس آواز کی میراث ہے جو اس زبان کو بولنے، گانے، اور خواب دیکھنے کی جرات رکھتی ہے۔ بہار اردو کی تقاریب میں بڑی تعداد میں لوگوں نے شرکت کی جس میں قابل ذکر تعداد نوجوان طبقہ کی تھی جو کہ اردو زبان و ادب کی میراث کو زندہ رکھنے کیلئے ایک امید افزاء صورت حال پیش کرتی ہے۔

 

اردو — دوسرا دن

نوجوان آوازیں، ادبی حکمت و روحانی شب